“शायद कभी रमेश ही यह पैकेट लेकर आए होंगे और आलमीरा में रखकर बताना भूल गए होंगे । यह लड़की भी न ! आजकल बातें बनाना बहुत सीख गयी है।” खुद से ही मन ही मन बातें करते हुए पुष्पा, अनोखी को वह फ्रॉक पहना देती है । फ्रॉक पहनकर अनोखी पूरे घर में इधर-उधर इतराती हुई घूमने लगती है और सबको बताती है कि देखो पापा उसके लिए कितना सुंदर फ्रॉक लेकर आए हैं । इसी तरह से ही कुछ दिन बीते । अनोखी और उसके पापा की बातें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं ।