छोटा-सा पत्र 

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आठ वर्ष की रूहानी बहुत ही चंचल, बहुत ही शैतान, लेकिन उतनी ही संवेदनशील भी थी। वह छोटी-से छोटी बात को भी गहराई तक समझती थी। रूहानी की माँ निराली स्कूल में अध्यापिका थीं। जिस स्कूल में वह पढ़ाती थीं, उसी स्कूल में रूहानी भी पढ़ती थी। रूहानी जब तीसरी कक्षा में आई तब निराली उनकी कक्षा में हिन्दी पढ़ाने के लिए आईं। अपनी माँ को देखकर रूहानी बहुत ख़ुश हो गई। आज उन्होंने 'जल ही जीवन है' शीर्षक का पाठ बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। निराली ने कहा, “बच्चों आप जानते हो हमारे जीवन में पानी का कितना महत्व है। सुबह से लेकर रात