चंदा जाए कहाँ रे, चंदा आए कहाँ रे...

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यह एक बाल कथा है जिसके माध्यम से शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के बारे में रोचक वर्णन है, साथ ही भाषा की दृष्टि से अनुस्वार और चंद्र बिंदु का अंतर भी बताया गया है. चंदा जाए कहाँ रे, चंदा आए कहाँ रे... लेखिका-मंजु महिमाआकाश में पूरा चाँद हँस-हँस कर अपनी चाँदनी बिखेर रहा था। तभी बादल के 2-3 सफ़ेद टुकड़े, जो हंस के आकार में थे, आए। एक बादल-हंस चाँद से कहने लगा, ‘मामा! मैं परीलोक से आया हूँ। हमारी परीरानी की आँख में फाँस (तिनका) लग गई थी, जिससे उनकी आँखों का अंजन (काजल) बहे जा रहा है।’दूसरे बादल-हंस ने