ग्यारह अमावस - 28

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(28)दीपांकर दास इस समय किसी और कमरे में था। उसको यह तो नहीं पता था कि वह इस समय कहाँ है पर यह वह कमरा नहीं था जिसमें वह बंद था। उसने कमरे का निरीक्षण किया। यह कमरा बड़ा था। इसमें एक बिस्तर था। साथ में अटैच्ड वॉशरूम था। एक खिड़की थी। उससे बाहर झांकने पर कुछ पेड़ दिखाई दे रहे थे। लेकिन उसने खिड़की को खोलने की कोशिश की तो वह खुल नहीं पाई।उसे याद था कि कल रात किसी ने उसे खाना दिया था। उसने उस आदमी से शुबेंदु के बारे में पूछा। लेकिन उसने