युद्ध से बुद्ध तक का सफर

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जीवन का आखिरी रास्ता युद्ध नहीं होता है बल्कि जीवन का प्रथम पथ युद्ध है आप जीवन को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो युद्ध से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि संघर्ष का एक चरण युद्ध है।युद्ध से आपके अंदर नेतृत्व की क्षमता बढ़ती है और जिसके अंदर नेतृत्व की क्षमता नहीं वह दास की भांति जीवन व्यतीत करता है और अपने परिवार समाज राष्ट्र को कमजोर एवं कायर बनाता है।युद्ध के बगैर बुद्ध का कोई अर्थ ही नहीं हैबुद्ध का अर्थ चेतना है चेतना अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त करता है जहां सुख शांति कांति वैभव त्याग तब