रुपये, पद और बलि - 6

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अध्याय 6 "क्या बोल रहे हो प्रधान जी ? चौंकाने वाली बात ?" "हां... आज सुबह मुझे एक लेटर मिला... एक-एक करके इस लेटर को तुम लोग पढ़ के देखो। उसके पहले मैं अपनी प्यास को बुझाता हूं।" अपने शर्ट की जेब में जो लेटर था उसे निकाल कर देकर – तिपाई पर जो व्हिस्की की बोतल थी उसके ढक्कन को खोल कर रामभद्रन एक गिलास में डालकर सोफे पर आराम से बैठकर पीने लगे। दो घूंट पीने के बाद - 5 लोगों ने उस पत्र को पढ़कर - पांचों का चेहरा सफेद पड़ गया। "क्या...? सब ने पढ़ लिया?"