दुमछल्ला- निशान्त जैन

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ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति हमेशा अच्छा या फिर हमेशा बुरा ही हो। अपने व्यक्तिगत हितों को साधने..संवारने..सहेजने और बचा कर रखने के प्रयास में वो वक्त ज़रूरत के हिसाब से अच्छा या बुरा..कुछ भी हो सकता है। यह सब उसकी इच्छा.. परिस्थिति एवं मनोदशा के हिसाब से नियंत्रित होता है। दूसरी अहम बात ये कि हम चाहे जितना मर्ज़ी कह या हाँक लें कि.."हम अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं।" मगर हमारी मर्ज़ी भी कहीं ना कहीं घर परिवार या समाज द्वारा ही नियंत्रित होती है।दोस्तों..मानवीय रिश्तों को ले कर इस तरह की गूढ़ ज्ञान भरी बातें आज