पप्पा जल्दी आ जाना : एक पारलौकिक सत्य कथा - भाग 3

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....आधी रात में अनोखी को हवा से बातें करते देख उसकी मां पुष्पा भयभीत हो उठी। लपककर उसने बेटी को गोद में उठाया और कमरे के भीतर लेकर आ गई। फिर दरवाजे पर कुंडी लगा लिया, जिससे वह दुबारा बाहर न जाने पाए। अनोखी को अपने सीने से सटा पुष्पा उसे सुलाने का प्रयास करती रही। लेकिन अनोखी अभी भी किसी से बुदबुदा कर बातें कर रही थी । "अब फिर से मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाना। अच्छा, अब मुझे नींद आ रही है और मैं सो रही हूँ। तुम भी जाकर सो जाओ।" “किससे बात कर रही हो, बेटा?”