(19)काबूर अब आहते में आकर बैठ गया था। एक मिट्टी के छोटे से घड़े से वह कुछ पी रहा था। घड़े का पूरा पेय पीने के बाद वह उठकर एक भयानक हंसी हंसते हुए नाचने लगा।अंदर भी सभी खड़े होकर नाच रहे थे। उन सभी ने अपने चोंगे उतार दिए थे। पूर्णतया निर्वस्त्र वह सभी उन्माद से भरे नाच रहे थे। एक मिट्टी के घड़े में कोई पेय था। सभी बारी बारी से उस घड़े में से पेय पीते हुए उसे अपने साथी को पकड़ाते जा रहे थे। वह घड़ा एक हाथ से दूसरे में होता