ग्यारह अमावस - 8

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(8) गगन सोकर उठा तो दिन चढ़ आया था। वह उठकर बाहर आया। बरामदे में धूप थी। कुछ देर वह वहीं एक मोढ़ा लेकर बैठ गया। बहुत समय के बाद वह अपने घर के बरामदे में इतने इत्मिनान से बैठा था। इससे पहले जब भी आता था काम होने के बाद तुरंत पालमगढ़ के लिए निकल जाता। इस बार वह जानबूझकर छुट्टी लेकर आया था। मोढ़े पर बैठे हुए वह इधर उधर देख रहा था। तभी उसका पड़ोसी रामबन उसके घर के सामने से गुज़रते हुए रुक गया। उसने पूछा,"गगन तुम कब आए ?"रामबन भी उन लोगों में था