उजाले की ओर ----संस्मरण

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उजाले की ओर ---संस्मरण ----------------------- नमस्कार स्नेही साथियों चार रास्ते पर खड़े हुल्लड़ मचाते लड़कों से एक बुज़ुर्ग ने पूछा ; "बेटा ! ये एड्रेस बता पाओगे ?" कुछ अधिक ही सुसंस्कृत ,सभ्य थे वे शायद ,चुपचाप सिगरेट का धुआँ उड़ाते रहे | बुज़ुर्ग ओटोरिक्षा में थे ,रिक्षा वाला भाई भी खासी उम्र का ,बेचारा जगह -जगह अपनी सवारी को घुमा रहा था | मालूम ही नहीं चल रहा था रास्ता ,वह कई स्थानों पर रुककर पूछ रहा था | एक फल बेचने वाला वहाँ से गुज़र रहा था ,वह रुका और पते का