जिजीविषा

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बेडरूम से निकलते समय बीरेन्द्र ने कहा , - जाकर नहाकर , अपने कपड़े पहन कर चली जाओ । बाथरूम में जाकर , उसने साबुन से अपने शरीर को रगड़कर साफ करने लगी ताकि उसके शरीर और मन का मैल साफ हो जाय। पानी के प्रवाह ने जड़ हो चुके शरीर व भावशून्य चेहरे में संवेदना जगा दी । एकाएक उसे बहुत जोर की रुलाई आई , वह अपने आप को रोक नही पाई । बाथरूम की दीवाल पकड़ कर रोने लगी। टोंटी के पानी के साथ साथ उसके आँसू भी बहने लगा ।रुलाई के बीच उसका आहत मन ,