भवभूति के रूपको मैं सूच्य विन्यास

  • 4k
  • 2.2k

भारत के इने गिने महान प्रतिभाशाली नाटककारों में से एक, महाकवि भवभूति की नाट्य कृतियों का अनुशीलन ,भारतीय नाट्य समीक्षा पद्धति पर ही किया जाना सर्वथा उचित प्रतीत होता है। ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में कुछ ऐसे सार्वभौम सिद्धांत अवश्य होते हैं ,जिनको किसी भी देश की सांस्कृतिक परंपरा में देखा जा सकता है। ऐसे सार्वभौम तत्वों के निष्कर्ष पर-------‐----- ही भवभूति के नाटकों को परखने का प्रयत्नकिया गया है।काव्य के दो भेद हैं ---श्रव्य काव्य एवं दृश्य का-व्य । दृश्य काव्य नेत्र का विषय तथा रूप से आरोपित-‐- होने के कारण रपक कहा गया है---दृश्य श्रव्यत्वभेदेन पुनः काव्यम, द्विधामतम,