रेत बँधे पानी -श्याम विहारी श्रीवास्तव

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रेत बँधे पानी का प्रवाह रामगोपाल भावुक डॉ. श्याम विहारी श्रीवास्तव की कृति ‘रेत बँधे पानी’ के प्रवाह का अवलोकन करते हुए मैंने जैसे ही पढ़ना शुरू किया तो गेयता का स्वर अन्तस् से स्वतः ही फूट पड़ा। ..... और उसके बाद तो मैंने सभी गीतों को अपनी लय में गाकर कृति का आनन्द लिया। यह सेंतालीस गीतों का संग्रह है। इसमें कवि स्वयं यह स्वीकरता है‘काल की भयंकरता के बीच आशा की किसी धूमिल किरण की उम्मीद न होते हुए भी गीतों में कहीं कहीं भावी सुख और आशा की कोई खिड़की खुली