अंत... एक नई शुरुआत - 4

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जीवन के इस पड़ाव पर ज़िन्दगी मुझे ऐसा भी कोई मौका देगी,ये मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।मेरे इस सपने को साकार करने का पूरा श्रेय सिर्फ और सिर्फ मेरे पति समीर को ही जाता है।मैं अपने चेहरे की हर एक शिकन,अपनी आँख के हर एक आँसू और अपनी किस्मत या अपने पाँव में पड़े हुए हर एक छाले को समीर की ठंडी और खुशबूदार मोहब्बत के झोंके में पूरी तरह से भूल जाती हूँ। आज मेरे टीचर ट्रेनिंग का पहला दिन है और डर के मारे मेरा बहुत बुरा हाल है जो कि होना लाज़िमी भी है