बसेरा

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दीपक शर्मा शाम सात बजे बाबू जी अपने दफ्तर से लौटे तो उन्होंने मीना और मनोज को रोते हुए पाया- 'माँ अभी तक घर नहीं पहुँची हैं।राकेश जरूर बाबू जी की स्कूटी की आवाज सुनते ही घर के अन्दर लपक लिया था। राग-आवेश का प्रदर्शन उसे कतई पसन्द न था। भाव-प्रवणता में अगर वह कभी बहता भी तो केवल कोप दिखलाने या रोष जतलाने।'स्टॉप पर बस का पता किया? स्टॉप से वह बस माँ को सुबह ऐन आठ पच्चीस पर उठाती थी और शाम के ठीक पाँच पचपन पर छोड़ जाती थी। इस लोकल बस के फेरे के शुरू होते