मैं रूस्तम सेठ के साथ चला गया .....वहां मैं अपना काम पूरी लग्न और ईमानदारी से करता था ,यही बात रुस्तम सेठ को पसंद आती थी ,इसलिए मेरे भरोसे अपना काम छोड़कर कही भी चला जाता था ....----समय बितता गया ,मैं भी उस काम में रम सा गया था तभी मुझे बहुत आवाजें सुनाई देने लगी , मानो किसी बड़े उत्सव की तैयारी हो रही हो .....ऐसा ही था जब मैने किसी से पूछा तो पता चला 26जनवरी के परेड की तैयारी हो रही हैं ....फौजी बहुत मेहनत कर रहे हैं अपना साहस दिखाने के लिए ....तभी ...मेरी अंतरात्मा से