एक अत्यंत ही मध्यम वर्गीय शिक्षक की बेटी अंजलि विवाह के बाद अपने साथ दहेज में कुछ ज़्यादा ना ला पाई, यदि कुछ लाई थी तो वह था उसका प्यारा सा मन और विनम्र स्वभाव। अंजलि और अजय का प्रेम विवाह था। वे पिछले 3 साल से एक-दूसरे को जानते थे। अंजलि को जीवन साथी के रूप में पाकर अजय तो बहुत ही ख़ुश था किंतु उसकी माँ सरिता को अपनी बहू अंजलि के दहेज ना लाने की टीस सताए जा रही थी। सरिता की सहेली ऊषा के बेटे का विवाह अभी पिछले माह ही तो हुआ था। उसकी बहू