वह अब भी वहीं है - 32

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भाग -32 मैं कोशिश कर रहा था कि, मेरी आँखें एकदम सूख जाएं। एकदम पथरीली हो जाएँ, लेकिन जितना पोंछता वह उतना ही फिर भर आतीं। मुझे मौत के नाम के साथ-साथ इतनी विवशताभरी स्थिति पर रुलाई आ रही थी कि, मेरी सुनने वाला कोई नहीं है। छब्बी जिसे मैं पत्नी ही मानता था। अगर पत्नी ना सही तो कम से कम उसे जीवन साथी मान कर तो चल ही रहा था, वह मर गई। उसे मैं आखिरी बार देख तक नहीं पाया। देखने ही नहीं दिया गया। उसका अंतिम संस्कार कहां होगा? कैसे होगा? कौन करेगा? होगा भी या