वाग्दत्ता- मंजू मिश्रा

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आमतौर पर जब भी कोई नया नया लिखना शुरू करता है तो उसके मन में सहज ही यह बात अपना घर बना लेती है कि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इस प्रकार पहुँचना है कि सब उसकी लेखनी को जानें..समझें और उसकी प्रतिभा..उसके मुरीद होते हुए उसके लेखन कौशल को सराहें। इसी कोशिश में वह चाहता है कि जल्द से जल्द छप कर रातों रात प्रसिद्धि की नयी ऊँचाइयों.. नयी मंज़िलों..नयी कामयाबियों को प्राप्त करे। इसी उतावलेपन में छपने के लिए जहाँ वह 'सहज पके सो मीठा होय' के पुराने ढर्रे वाले नीरस..उबाऊ और समय खपाऊ तरीके को अपनाने के