‘मेटावर्स’ का ज़माना मनुष्य पहले सोचता है-फिर उसी सोच को करने में जुट जाता है। इससे आविष्कार होने लगते हैं। इसी कड़ी में फेसबुक के मुखिया मार्क जुकरबर्ग ने ‘मेटावर्स’ बनाने की बात की है। है न कमाल की बात! ऐसा लगता है कि ‘कल्पना’ आज के समय में ‘ज्ञान’ से अधिक महत्वपूर्ण है। पहले हमारे देश में भी महर्षि धौम्य आदि गुरूजी आरुणि जैसे शिष्यों को उसकी कर्मठता देखकर योग्यता का प्रमाणपत्र दे देते थे। बाद में इसमें गिरावट का दौर चला। आज के समय में हमारे इस महान देश में किसी-किसी परीक्षा के परिणाम को बताने के लिए