श्री मोहन चैधरी जी अपने गांव के बडे पंण्डित थे और इसी पंण्डित तबके के कारण लोगों में उनकी एक अलग और ऊंची छवी थी, गांव के सब जाति के लोग उनकी बहुत ही इज्जत करते थे, किसी भी मामले में उनकी राय ली जाने की प्रथा गांव में लम्बे समय से थी। चैधरी जी के गांव में हरिदास का लडका रामदास, शहर से पढाई कर वापस लौटा था, सुबह -सुबह की बात थी, रामदास ने अपने पिता हरिदास जी को तैयार होते देखा तो उसने उत्सुक्तावश पूछ लिया कि बापू सुबह तैयार होकर कहां? तो पिता हरिदास ने उत्तर