सिंदूर - तेरे नाम का

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आज पूनम की रात में चांद भी खिल उठा था, क्योंकि आज करवा चौथ जो था,महल में भी चारो तरफ रोशनी छाई हुई थी!सभी औरते चांद का इंतज़ार कर रही थी, जैसे ही चांद दिखा सब लोग खड़े होकर अपनी छन्नी से चांद को देखकर अपनी पति की उस छन्नी में शक्ल देख रहे थे, लेकिन एक जिशका था रिश्ता सब से अलग, एक जगह जा रही थी,जहाँ कोई न था,पाव में पहनी हुई पायल उसके चलने से छन...छन...करती हुई उस जगह पर गूंज रही थी।न जाने चलते चलते वो एक किल्ले पर पहुच गयी, उसने भी अपनी पूजा की