अम्मा

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"तुमने अम्मा को बता दिया कि आज हम बाहर खाना खाकर आएंगे?" पार्थ ने संयोगिता से संदेहास्पद तरीके से पूछा। पार्थ की प्रश्नपूर्ण निगाहें, होंठों पर विचित्र मंद मुस्कान के साथ गर्दन हिलाकर इस प्रश्न का पूछना इस बात की ओर इशारा था जैसे उसे संयोगिता की ओर से आने वाले उत्तर का पहले से अनुमान हो कि तभी संयोगिता ने उत्तर दिया, "अजी अम्मा को क्या बताना, क्या हम पति पत्नी बाहर खाना खाने भी नहीं जा सकते?" अम्मा कोई और नहीं बल्कि पार्थ की माँ थी। अपने बेटे पार्थ को जीवन का यथार्थ दर्शन करवाने वाली अम्मा