अमूमन सनातन धर्म को मानने वाले हर छोटे बड़े प्राणी के मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी रहती है कि कम से कम एक बार तो वह चार धाम की तीर्थ यात्रा पर जा कर अपना जन्म ज़रूर सफ़ल कर ले। भले ही इसके लिए वो कोई गांव देहात का पाई पाई जोड़ता ठेठ गरीब..गंवार हो अथवा फैशनेबल शहर का हर कदम पर रईसी झाड़ता कोई जाना माना सेठ हो। ऐसी हो एक यात्रा पर दोस्तों..आज मैं आपको ले चल रहा हूँ प्रसिद्ध लेखिका लक्ष्मी शर्मा जी के उपन्यास 'स्वर्ग का अंतिम उतार' के साथ। इस उपन्यास में कहानी है