जैसलमेर के एक अस्पताल में एक बड़े से कमरे में दोनों तरफ बिस्तरों पर कुछ मरीज लेटे हुए थे । उनके साथ एक - एक अटेंडेंट भी मौजूद थे जो कि उनके ही परिवार के सदस्य थे। दिन के समय वो अटैंडेंट अपने मरीजों के पास कुर्सी पर बैठते थे और रात में वहीं कमरे में मरीजों के लिए मौजूद खाली बेडों पर सो जाते । जिन मरीजों का इलाज पूरा हो जाता था , उन्हें यहाँ इस कमरे में कुछ दिन निरीक्षण के लिए रखा जाता था,जब सब कुछ सही रहता तो उन्हें छुट्टी दे दी जाती थी इसलिए