नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 67

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67 जब समिधा के पिता इलाहाबाद गए थे तब से ही प्रोफ़ेसर पति-पत्नी की आकस्मिक दुर्घटना को देखकर उनका हृदय विक्षिप्त हो उठा था | प्रोफ़ेसर व इंदु के पार्थिव शरीरों को देखकर वे जड़ हो गए थे | उन्हें सूद परिवार का बहुत सहारा था, यह परिवार प्रत्येक मोड़ पर उनके साथ खड़ा था और हमेशा एक पड़ौसी का धर्म बखूबी निभाता रहा था | उन्होंने हर समय उनका ध्यान रखा था, यहाँ तक कि विलास व इंदु की मृत्यु के समय भी सूद साहब उनके साथ इलाहाबाद गए थे |  इलाहाबाद से आकर वे काफ़ी बेचैनी में रहने