आजादी का अमृत महोत्सव तथा शिक्षकों की स्थिति

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‘सा विद्या या विमुक्तये’ यह उक्ति तो दिन-रात सामने आती है। बच्चों के बिल्ले पर लिखा रहता है। देख कर मन को सुकून मिलता है। हमारे बच्चे उपरोक्त उक्ति का अर्थ भी अच्छी तरह से जानते हैं। पूरे श्लोक के बारे में जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि यह विष्णुपुराण से लिया गया है। इसके श्लोक का अर्थ संक्षेप में यही है कि कर्म वही है जो बन्धन का कारण न हो और विद्या भी वही है जो मुक्ति की साधिका हो। इसके अतिरिक्त और कर्म तो परिश्रम रुप तथा अन्य विद्याएँ कला-कौशल मात्र ही है। आज जब