(3) अपने कस्बे की दो घटनाएं आज भी मेरे चित्त पर अंकित हैं। सुचिता मासी ....मेरी माँ की पड़ोसन!अपने समय की बेहद खूबसूरत महिला! धर्म- कर्म, दान- पुण्य, पूजा -पाठ में आस्था और विश्वास रखने वाली !पति किसी सरकारी विभाग में चपरासी था। उसकी पहली पत्नी से एक बेटी थी। सुचिता मासी गरीब घर की बेटी थीं, तभी तो दिखने में साधारण, दोआह, एक बच्ची के पिता को सौंप दी गईं। उस आदमी को मौसा कहने में मुझे शर्म आती थी क्योंकि वह बच्चियों को भी गन्दी निगाह से देखता था। उसने मुहल्ले में सबसे शानदार दो मंजिला मकान बनवा लिया