महाकवि भवभूति का क्रांतिकारी रूप साहित्य क्रांति

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संस्कृत नाटकों के विशाल साहित्य पर जिन किंचित नाटक कारों के अमिट चरण चिन्ह विद्यमान हैं, उन्हें भवभूति अग्रगण्य है। विद्वानों की दृष्टि में महाकवि कालिदास के समकक्ष स्थान पाने वाले भवभूति , कहीं-कहीं तो कालिदास से महतर प्रतिष्ठा प्राप्त कर गए हैं। भवभूति के उज्जवल काव्य कीर्ति के आधार स्तंभ के रूप में केवल उनकी तीन नाट्य कृतियां ही प्राप्त होती हैं। इतनी महान प्रतिभा का धनी कवि केवल तीन नाटकों का प्रणयन करें , यह साहित्यिक आश्चर्य का विषय है भले ही हो, परंतु इन 3 कृतियों में अपनी काव्य अनुभूति की संपूर्ण गहराई, अपने कार्ययित्री प्रतिभा की