नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 53

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53 मुँह घुमाने से या परिस्थितियों का पीछा छुड़कर भाग जाने से कोई कब तक बच सकता है ? इंसान को अपने सामने आई हुई परिस्थिति का सामना करना ही पड़ता है और वह जितनी जल्दी स्थिति को समझकर अपनी नियति स्वीकार कर ले, उतना ही उसके लिए अच्छा होता है अन्यथा उसका चाइनोकरार चला जाता है | सबने अपने –अपने हिस्से के रंजोगम को, स्थिति को झेला था, परिस्थितियों को स्वीकार करके दुख-सुख अपना लिए थे | तीनों मित्र अपने-अपने जीवन के बारे में चर्चा करते हुए कभी मुरझा जाते तो कुछ समय बाद तीनों के चेहरों पर मुस्कुराहट