वह अब भी वहीं है - 24

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भाग -24 मुझ मूर्खाधिराज का भी ध्यान इस ओर बाबू राम के एक बम्पर शराबी और बढ़िया लेखक साथी की बातों से गया था। पता नहीं वह किस सनक के चलते बाबू राम, हम-जैसे लोगों के साथ किसी भी ऊटपटाँग जगह बैठ कर जमकर मयनोशी करता था, बल्कि शराब चढ़ जाने के बाद ऐसी फूहड़ भद्दी-भद्दी बातें करता था कि हम-लोग भी दांतों तले ऊँगलियाँ दबा लेते थे। जब-तक वह शराब के ऊपर होते तब-तक तो अपनी किताबों, अपने सिद्धांतों की ही बातें करते थे, जिन्हें हम मूर्खों की तरह उन्हें देखते हुए केवल सुनते ही रहते थे, कुछ बोलते,