वह अब भी वहीं है - 21

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भाग -21 उस दिन छब्बी का रोना-धोना बहुत देर तक चला। उसे दो बातों का दुःख सबसे ज्यादा था। पहला बच्चों का, दूसरा भाई का। कि उस भाई ने भी उसे गलत समझा, जिसने उसके, पूरे परिवार के लिए वह जिम्मेदारियां निभाईं जो बाप की थीं। वह उसे एक बाप की ही तरह मानता, प्यार करता था। उसका आखिरी बार अत्यधिक दुखी होकर रोते हुए जाना वह भूल नहीं पा रही थी। भाई के लिए उसका कलेजा वैसे ही छलनी होता था, जैसे बच्चों की याद आने पर होता था। समीना उस रात हमने, छब्बी ने एक दूसरे को अपने