वह अब भी वहीं है - 17

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भाग -17 पहले तो मैं समझ नहीं पाई, लेकिन जब जल्दी ही गलत ढंग से छूने, पकड़ने की कोशिश करने लगा तब उसकी मंशा समझी, और फिर समझते ही मैंने उसे धिक्कारते हुए कहा, '' बाप की उमर के हो और मुझ पर ऐसी नज़र रखते हो। आज के बाद मेरे सामने भी न पड़ना, नहीं तो मैं चिल्ला कर पूरा मोहल्ला इक्ट्ठा कर लूंगी।'' मैंने घर में मां-भाई को भी बता दिया। उन लोगों ने भी उन्हें अलग बुला कर खूब टाइट किया। अब तक रोज-रोज, लड़ाई-झगड़े, तमाम दुश्वारियों का सामना करते-करते हम सब निडर हो गए थे। यह