वह अब भी वहीं है - 16

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भाग -16 दयनीय हालत के चलते किसी भी भाई-बहन की पढ़ाई-लिखाई भी अच्छे से नहीं हो पाई। सरकारी स्कूलों, सरकारी मदद से जितना पढ़ा जा सकता था, सारे बच्चों ने उतनी पढाई पूरी मेहनत, ईमानदारी से की। लेकिन घर की दयनीय स्थिति के चलते, समझदार होते-होते सभी कमाने-धमाने के लिए विवश हो गए। इसलिए सरकारी बैसाखी पर चल रही सबकी पढाई और कमजोर हो गई। बड़ा भाई जब चौदह-पंद्रह का हुआ तो मां को कुछ राहत मिली। वह धीर-गंभीर ही नहीं, मां, हम-सब को प्यार भी बहुत करता था।' समीना, छब्बी बीते दिनों को इतनी गहराई में उतर कर याद