भाग-1. बड़बड़ाहट एक्सप्रेस! अपनी अनूठी कनपुरिया भाषा के लिए जाना जाने वाले शहर कानपुर में अभी सुबह के सात बज रहे हैं. छोटी इमारतों की छतों पर भी सूरज अब दस्तक दे चुका है. दीपावली आने वाली है इस वजह से सुबह-सुबह का मौसम थोड़ा ठंडा भी है और सुहावना भी. लेकिन इतनी सुबह अपनी भारतीय संस्कृति को अपने अंदर समाकर रखने वाली शिवाक्षी की माँ रिक्शे से मंदिर जाकर अपने घर की तरफ आ रही हैं. शिवाक्षी का घर शहर की संकड़ी गली के एक छोर पर बना है. घर गली की चढाई वाली जगह पर बना है जिस