मे और महाराज - (अंत ) 36

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" मैने वहा पे कुछ सुना मौली ?" समायरा ने झाड़ियों की तरफ हाथ दिखाया। तभी झाड़ियों से कुछ तीर उड़ते हुए उनकी तरफ आए।" आ.................." उड़ते हुए तीरों को देख दोनों के मुंह से एक चीख निकली। पर सिराज की चतुराई यहां काम आई। उसने शायद ये खतरा पहले ही भाप लिया था। उसने तुरंत समायरा को अपनी तरफ खींचा और रिहान ने मौली को अपनी तरफ खींचा। दोनो ने एक दूसरे को इशारा किया और लड़कियों के साथ अलग अलग दिशा में भागे। जैसे ही वो लोग भागे, काले कपड़े पहने हुए लोगो के एक समूह ने अलग अलग