रीगम बाला - 12

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(12) हमीद कुछ कहने ही जा रहा था वह फिर बोल पड़ी । “तुम्हारे पास तो कुछ भी नहीं.....फिर तुम इस होटल के खर्च कैसे पूरा करोगे ?” “मेरा चीफ मुझसे इतना बेखबर तो नहीं....।” हमीद मुस्कुरा पड़ा । “क्या तुम ख़ुद चीफ से मिले थे ?” “नहीं...!” “क्या तुम उन तमाम लोगों को पहचानते हो जो उसके लिये काम कर रहे है !” “नहीं...।” “तब फिर तुम धोखा भी खां सकते हो ।” “वह किस प्रकार !” हमीद ने चौंक कर पूछा । “क्या वह आदमी तुम्हारा जाना पहचाना था जो तुम्हें चट्टान की ओट में ले गया था