(6) यह गुब्बारा भी पहेले ही के समान ज़ोरदार धमाके के साथ फटा और हेलीकाप्टर चक्कर पूरा किये बिना पश्चिम की ओर उडाता चला गया –उसकी आवाज़ अब भी सुनाई दी रही थी –लेकिन ख़ुद नज़रों से ग़ायब हो चुका था। विनोद उन्ही चट्टानों की ओट लेता हुआ फिर पहली वाली दराड़ में दाखिल हुआ और हेलीकाप्टर की आवाज़ निकट आती हुई महसूस हुई और फिर वह उसके सर पर से गुजर गया –मगर उड़ान ऊँची थी –अगर नीची भी होती तब भी कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि काफ़ी ऊंचाई पर दराड़ के दोनों ओर वाली चट्टानें एक दुसरे से