रीगम बाला - 4

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(4) “हां –मैं कैप्टन हमीद को दिलो जान से चाहती हूं –उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकतीं। मैंने उसे वह सब कुछ बता दिया है जो मैं जानती थी। मैंने उसे यह भी बता दिया है कि मुझे संस्था से घृणा हो गई है।कल के सुंदर संसार के लियेमैं आज की बरबरता सहन नहीं कर सकती। आज का रक्त कल के फूलों की लालिमा बने –मैं इसे पसंद नहीं करती ..संस्था के बड़ों ने मेरे पंगुल बाप को इसलिये मार डाला कि वह उनके काम का नहीं रह गया था—तुम लोग आदमी को मशीन समजते हो –मैं तुम सब पर