(2) “अरे बाप रे ---“ हमीद बौखला कर बोला। “मगर मैं ऐसा नहीं होने दूँगी!” रीमा ने धीरे से कहा। हमीद को उसकी आंखों में पूर्ण संकल्प की ज्योति दिखाई दी।वह चुपचाप उसे देखता रहा। वह अत्यंत गंभीर नजर आ रही थीं। होंठ मींचे हुये थे और भवें सिकुड़ गयी थीं। “सुनो..”थोड़ी देर बाद वह हाथ उठा कर बोली “ किसी प्रकार कर्नल तक सूचना भिजवा दो कि अब अगर विमल हाथ आये तो वह उस पर बिलकुल विश्वास न करे।“ “ क्या मतलब ?” वह संभल कर बैठ गया। “अब वह कर्नल से दगा करेगा।“ “साफ साफ़ कहो।” “इस