मेज़बान - 3 - अंतिम भाग

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(3) बुक शेल्फ के बाद किशोर की नज़र एक दीवार पर पड़ी। उसमें कुछ फ्रेम टंगे हुए थे। वह उन्हें देखने लगा। सभी तस्वीरों में प्रोफेसर पवन कुमार एक औरत के साथ थे। वह औरत बहुत सुंदर थी। तभी पीछे से प्रोफेसर पवन कुमार की आवाज़ आई, "मैं और मेरी पत्नी मधुरिमा हैं।" "समझ गया था सर। मधुरिमा जी बहुत खूबसूरत हैं।" "सिर्फ शरीर ही नहीं। उसकी आत्मा भी बहुत सुंदर है।" किशोर ने महसूस किया कि यह कहते हुए प्रोफेसर पवन कुमार भावुक हो गए। अपनी भावनाओं को दबाते हुए उन्होंने कहा, "आ जाओ....चाय और सैंडविच तुम्हारी राह देख