आइडेंटिटी क्राईसिस - 1

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एपिसोड १. “सॉरी, इस वक्त मैं कुछ भी कहने के मुड में नहीं हुँ।“ उसने कहा। “क्यों क्या हुआ? सब ठिक तो है ना?” मैंने साशंकित होते हुए पुछा। “मैंने कहा ना, अभी कुछ भी नहीं, बस!” उसने भडकते हुए कहा। “ठिक है।“ मैंने अपने हथियार डालते हुए फोन रख दिया। वह बरामदे में बरबस ही चहलकदमी करने लगी। उसे ना अपना ख्याल था ना अपने आसपास के परिवेश का। वह बमुश्किल अपने मन को काबु में कर पा रही थी। कल रात से उसने ना कुछ खाया था ना वह सोयी थी। बस वह कमरे के बाहर रखे बेंच