सरल नहीं था यह काम - 2

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सरल नहीं था यह काम 2 काव्‍य संग्रह स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना 11 अम्बेडकर दलितों में बनके रोशनी आया अम्‍बेडकर गौतम ही उतरे जैसे लगता नया वेश ध्‍र नफरत थी उपेक्षा थी थे अपमान भरे दंश लड़ता अकेला भीम था थे हर तरफ विषधर सपने में जो न सोचा था सच करके दिखाया हम सबको चलाया है उसने नई राह पर ये कारवॉं जो चल पड़ा रोका न जाएगा नई मंजिलों की ओर है मंजिल को पारकर हर जुल्‍म पर हर जब पर सदियों से है