देहखोरों के बीच - भाग - सात - अंतिम भाग

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भाग -सातकुसुम और मास्टर को ठाकुर साहब ने समझाया कि अब तो तुम लोग शादी कर ही चुके हो।घर वापस चलो ।हम सब तुम लोगों को स्वीकार कर लेंगे।कुसुम तैयार हो गई ,वैसे भी साल- भर में अभाव झेलते -झेलते वह परेशान हो चुकी थी। वह राजकुमारी की तरह सुख- सुविधाओं में पली थी पर मास्टर तो गरीब था।माध्यमिक स्कूल के मास्टर का वेतन ही कितना होता है।उस पर अपनी पत्नी व बच्चे की भी जिम्मेदारी थी।जाने कैसे उसे मास्टर से प्यार हो गया?उसने दिमाग से नहीं दिल से काम लिया था।अपने घरवालों की इज्जत -प्रतिष्ठा भी दाँव पर लगा