शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में मानवाधिकारों की शिक्षा का समावेश

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हर युग का ज्ञान कला देती रहती है ।हर युग की शोभा स्त्री लेती रहती है ।इन दोनों से भूषित वेशित और मंडित।हर शिक्षक वाणी एक दिव्य कथा कहती है।मानव जाति के क्रमबद्ध सुव्यवस्थित और सकारात्मक विकास के उच्चतम शिखर तक पहुंचने के लिए मानवाधिकारों का संरक्षण एवं उनके सदुपयोग की आवश्यकता सदैव से ही स्वीकार की जाती रही है और की जाती रहेगी। किसी भी लोकप्रिय और न्याय प्रिय समाज द्वारा मानवाधिकार के इस अहम तत्व को नकारा नहीं जा सकता।मानवाधिकार किसी एक देश की सरहदों से ऊंची अवधारणा ही नहीं है वरन संपूर्ण विश्व के प्राणी मात्र के