गुनाहों का देवता - 25

  • 7.5k
  • 2.4k

भाग 25 ''देखो, अब मैंने विवाह स्वीकार कर लिया। जेनी को स्वीकार कर लिया। चाहे यह जीवन का सत्य ही क्यों न हो पर महत्ता तो निषेध में होती है। सबसे बड़ा आदमी वह होता है जो अपना निषेध कर दे...लेकिन मैं अब साधारण आदमी हूँ। सस्ती किस्म का अदना व्यक्ति। मुझे कितना दुख है आज। मेरा तोता भी मर गया और मेरी असाधारणता भी।'' और बर्टी फिर तोते की कब्र के पास सिर झुकाकर बैठ गया। वह घर पहुँचा तो उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसने उफनी हुई चाँदनी चूमी थी, उसने तरुणाई के चाँद को