लौट के बुद्धू घर को आये (अंतिम किश्त)

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"मैं तो छोटे थे तब एक शादी में आये थे।"मरी सी आवाज में उस बुजर्ग ने जवाब दिया था।ड्राइवर ने कंडक्टर से कहा"नीचे उतरकर पता लगाओ ज़रा।"दूल्हे के बड़ा भाई ही कर्ता धर्ता था।उसी ने रिश्ता तय किया था।वो ही जनता था गांव का पता।लेकिन वह बेंड वालो को लाने के लिए आगरा रुक गया था।कैसी बरात थी।मंज़िल का पता नही और चले जा रहे थे।कंडक्टर लौटकर बोला,"गांव का रास्ता काफी पीछे रह गया है।"ड्राइवर ने सिर पीट लिया।दोनो तरफ खेत की ऊंची ऊंची मेड।बस को मोड़ने के लिए कोई जगह नही।लिहाज ड्राइवर को करीब दो किलो मीटर आगे जाना