मानव ह्रदय में स्थित भाव एवं विचारों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भाषा है। भाषा विचारों की सम वाहिका है । भाषा के अभाव में भाव मूक हो जाते हैं विचार वधिर और अभिव्यक्ति पंगु बन कर रह जाती है ।किसी भी राष्ट्र की भाषा अपने समाज व राष्ट्रीय संस्कृति की भी सम वाहिका होती है। जो भाषा जितनी अधिक समृद्ध व सशक्त होती है वह उतनी ही महान संस्कृति का साक्षात्कार कराने में समर्थ होती है। ऐसी सशक्त भाषा ही जीवंत भाषा कही जा सकती है । संस्कृति की परिवर्तनशीलता के साथ- साथ जीवंत भाषा का स्वरूप भी निरंतर