समाज और अपराध

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जर जमीन जोरूआपने सुना है।और आप समझ भी गए होंगे।मैं सीरियल नही देखता।कहने को तो आजकल जो सीरियल टीवी पर आते है।उन्हें सामाजिक कह कर प्रचारित किया जाता है।उनमें कुछ तो सामाजिक कम क्राइम ज्यादा होता है।झूंठ,फरेब,धोखा,विश्वासघात,हत्या वो सब कुछ होता है।जो क्राइम सीरियल में होता है।समाचार देखकर भी ऊब जाता हूँ।समाचार छोटा होता है लेकिन खींचकर इतना लंबा कर दिया जाता है कि सुननेवाला बोर होकर सुनता ही नही।बहस का आलम ये है कि बहस कम शोरगुल ज्यादा होता है।बहस में भाग लेने वाले गड़े मुर्दे उखाडने में समय बर्बाद करते है या बड़ी ही बेशर्मयी से झूठ बोलते